पुरुष
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¤ भगवान की ऐसी रचना है जो बचपन से ही त्याग और समझौता करना सीखता है ।
¤ वह अपने चॉकलेटस का त्याग करता है बहन के लिये ।
¤ वह अपने सपनो का त्याग कर माता-पिता की खुशी के लिये उनके अनुसार कैरियर चुनता है।
¤ वह अपनी पूरी पॉकेट मनी गर्ल फ़्रेंड के लिये गिफ़्ट खरीदने में लगाता है ।
¤ वह अपनी पूरी जवानी बीवी-बच्चों के लिये कमाने में लगाता है ।
¤ वह अपना भविष्य बनाने के लिये लोन लेता है और बाकी की ज़िंदगी उस लोन को चुकाने में लगाता है ।
¤ इन सबके बावजुद वह पूरी ज़िंदगी पत्नी, माँ और बॉस से डांट सुनने में लगाता है ।
¤ पूरी ज़िंदगी पत्नी, माँ, बॉस और सास उस पर कंट्रोल करने की कोशिश करते हैं ।
¤ उसकी पूरी ज़िंदगी दुसरो के लिये ही बीतती है ।
और बेचारा पुरुष
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¤ बीवी पर हाथ उठाये तो "बेशर्म" ।
¤ बीवी से मार खाये तो "बुजदिल" ।
¤ बीवी को किसी और के साथ देख कर कुछ कहे तो "शक्की" ।
¤ चुप रहे तो "डरपोक" ।
¤ घर से बाहर रहे तो "आवारा" ।
¤ घर में रहे तो "नाकारा" ।
¤ बच्चों को डांटे तो "ज़ालिम" ।
¤ ना डांटे तो "लापरवाह" ।
¤ बीवी को नौकरी करने से रोके तो"शक्की" ।
¤ बीवी को नौकरी करने दे तो बिवी की "कमाई खाने वाला" ।
¤ माँ की माने तो"चम्मचा" ।
¤ बीवी की माने तो "जोरु का गुलाम"।
पूरी ज़िंदगी समझौता, त्याग और संघर्ष में बिताने के बावजुद वह अपने लिये कुछ नहीं चाहता ।
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इसलिये पुरुष की हमेशा इज़्ज़त करें ।
पुरुष, बेटा, भाई, बॉय फ़्रैंड, पति, दामाद, पिता हो सकता है, जिसका जीवन हमेशा मुश्किलों से भरा हुआ है।
Tuesday, 27 January 2015
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